कुचरणी- ओम पुरोहित 'कागद'

[] पुलिसिया कुचरणीं []



पुलिस-१

मिनखां रा
सळ काढण आळी उस्तरी
जकी घणीं तप्यां पछै
बाळ देवै
इणीं खातर
भला मिनख
इण री तपत देख
पईसां रो छांटो देय’र
दूर सूं ई टाळ देवै !

पुलिस-२

मारणों गोधो
जकै रै आगै
भाज्यां ई
पार पडै़
खड़्यो रै’यां
मार पडै़ !

* ठाणों *

कटखावणै देवता रो थान
जकै नै धोक्यां खतरो
अर नीं धोक्यां घणों खतरो
थाणै रै गेलै सूं पग रोको
जे अकल है तो
इण नैं
लारली गळी सूं धोको !

पै’लो बिरवो- नरेन्‍द्र व्‍यास

आदरजोग ओम जी रै आसीस अ'र प्रोत्साहण स्यूं मायड़ भासा में म्हारो पैलो परयास.. 'पै'लो बिरवो' रोपण सारू हुयो है सा. कित्तो सफल है, आ तो आपरै नंबरां माथै इण रो अस्तित्व टिक्योड़ो है सा.. आगे रो रास्तो आप ई'ज दिखाया, म्हारी आई अरदास है आप सबाँ गुणीजणा स्यूं. ताकि मायड़ भासा रै सारू म्हारो भी कर्तव् पूरो करण में एक माड़ो सो परयास सफल हो सकै...

पै’लो बिरवो


कित्तो बेकळ होयो होसी
जद बरस्यो होसी
पै’लो बादळ
हब्बीड़ उपड़्यो होसी
आभै में
अर टळकी होसी
अखूट धार
मोकळा जळव्हाळा लियां
जूण खातर !

कित्ती बेकळ रे’ई होसी
मुरधरा
जद कठै ई जाय'र
उपडी़ होसी एक नदी सूं
पै’ली धार
अनै सिरज्यो होसी
पै’लो बिरवो
थार में !
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