पाळसियो


 








म्हारै दादा जी री
पुराणी हेली
अ'र उणरी  मुंडेर पर
पड्यो माटी रौ
पाळसियो
आभै खानी मुंडो कीयां
निरखै है हाल ताईं
उण  पंखीडाँ नै
नी आवै
 अबै
सुस्तावण  अ'र
तिरस् बुझावण सारु जिका

ख़ुद बौ
जाणे कदस्यूं तिरसो है
दादाजी री
तिरसी आंख्यां जियां,
निरखती रैवै जिकी
आभै स्यूं
संस्काराँ रै उण
सूखे पड़्ये पाळसिये ने
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-नरेन्‍द्र व्‍यास